
स्थानीय लोगों ने इस खबर की सूचना दी। उन्होंने कहा कि सपोटरा तहसील में मंदिर के पुजारी को 6 लोगों ने पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया। दरअसल, पुजारी ने भू-माफियाओं को मंदिर की इस जमीन पर अतिक्रमण करने से रोकने का प्रयास किया था, जिसके बदले पुजारी को अपनी जान गँवानी पड़ी।


बताया जा रहा है कि जिस इलाके में यह घटना हुई, वह मूलनिवासी और दलित राजनीति के दवाब वाला इलाका है, जहाँ हिन्दू धर्म से नफरत और अपमान करने के लिए नई पीढ़ी को उकसाया जाता है।
स्थानीय लोगों ने ऑपइंडिया को बताया कि इस इलाके में भीम आर्मी की हिन्दू-घृणा की मानसिकता को खूब फैलाया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप यह घटना हुई है। स्थानीय हिंदूवादी संगठन के लोगों ने ऑपइंडिया को बताया कि पंडित जी राधा-गोविन्द मंदिर की सेवा करते थे।
पुजारी को मंदिर के नाम पर जमीन दान की गई थी और इसी जमीन पर 50 साल के पुजारी अपना घर बना रहे थे। भू-माफिया इस जमीन का अतिक्रमण करना चाहते थे। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि स्थानीय मीणा समुदाय के लोग इस मंदिर पर कब्जा करना चाहते थे जिसका कि पंडित जी ने विरोध किया और उन्हें अपनी जान गँवानी पड़ी।
घटना को लेकर सपोटरा क्षेत्रवासियों में सपोटरा थाना पुलिस के प्रति आक्रोश है। उन्होंने पुलिस पर ऐसे मामलों में हमेशा निष्क्रियता बरतने का भी आरोप लगाया है।
लोगों का कहना है कि राजस्थान सरकार अभी तक भी इस हिंसा को लेकर उदासीन बनी हुई है। पंडित जी ने मृत्यु से पहले 6 लोगों का नाम लिया, जिन्होंने उन पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगाई। इन लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को जूना अखाड़े के महाराज कल्पवृक्ष गिरि (70), उनके सहायक सुशील गिरि महाराज (35) और उनके ड्राइवर नीलेश तेलगड़े (30) की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। गडचिंचाले गाँव से निकलते वक्त करीब 500 लोगों ने उन पर हमला किया था।
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